अप्रवासी सैम वर्मा कहीं पाँचवे धाम
के पाँचवे शंकराचार्य तो नहीं?
रामकिशोर पंवार ''रोंढ़ा वाला''
हिन्दू धर्म के प्रति इतना पागल होता है कि उसेे अपने अच्छे बुरे का ज्ञान तक नहीं होता है। लोगो के इसी पागलपन को भुनाने के लिए इस देश में कुछ पैसे वालो ने भगवान के नाम पर धंधा शुरू कर दिया है। आजकल भगवान के नाम पर मंदिर या ट्रस्ट बना कर उसकी आड़ में माल कमाने का लोगो को चस्का लग गया है। इस समय मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में एक अप्रवासी भारतीय के मंदिर की आड़ में चलने वाले अनैतिक कार्यो को लेकर अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए कृत सकंल्पीत भाजपा के पूर्व सासंद एवं प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष स्वर्गीय विजय कुमार खण्डेलवाल के बीच तन गई थी जो बाद में सुलह में तब्दील हो गई। अप्रवासी भारतीय सैम वर्मा द्घारा अपनी माता की स्मृति में बनाये गए रूकिमणी बालाजी मंदिर अपनी स्थापना के समय से ही विवाद का केन्द्र बना रहा। सबसे पहले विवाद उस समय उठा जब सैम वर्मा ने अपने जन्म स्थान बैतूल बाजार का नाम बदल कर उसे बालाजीपूरम करना चाहा। सैम की इस हरकत पर पुरा गांव सैम कें खिलाफ खड़ा हो गया। इसके बाद सैम वर्मा ने कुछ शंकराचार्यो को अपने नीजी चार्टर प्लेन से लाकर उनसे इसे भारत का पाँचवा धाम घोषित करवा लिया जबकि इस देश में केवल चार ही धाम है जिन्हे आदि शंकराचार्यो से मान्यता प्रदान की गई है। कुछ लोगो का तो आरोप था कि अपने पैसे के बल पर सैम वर्मा ने जब कुछ शंकराचार्यो से बालाजी पूरम को पांचवा धाम घोषित करवा लिया है ? अब वह आने वाले कल में शंकराचार्यो द्घारा घोषित इस तथाकथित पांचवे धाम का पांचवा शंकराचार्य तो नहीं बनना चाहता है.....? अगर वह ऐसा करता है भी तो उसे रोकने वाला कौन है ......? सूत्र बताते है कि सैम वर्मा ने कहने के लिए तो श्री रूक्मिणी बालाजीपूरम मंदिर को ट्रस्ट का रूप दिया है लेकिन इस ट्रस्ट में सैम वर्मा के परिवार के सदस्यों की संख्या सबसे ज्यादा है । मंदिर की स्थापना के बाद से आज तक मंदिर का हिसाब किताब सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं किया जाना भी अपने आप में एक सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठï के समय तो यह प्रचारित किया गया था कि मंदिर में आने - जाने वाले श्रद्घालु भक्तो के जूते चप्पल मंदिर ट्रस्ट परिवार के सदस्य नि:शुल्क रखा करेगे लेकिन अब तो जूते चप्पल तक रखने के पैसे वसूले जा रहे है। मंदिर परिसर की दुकानो से किराया से लेकर उनसे मंदिर के नाम पर अकसर जबरिया चौथ वसूली की जाना भी मंदिर के पवित्र मकसदो पर पानी फेरने का काम करती है। नेशनल हाइवे 69 से कुछ दुरी पर बने भी इस मंदिर के लिए बनी अधिकांश दुकाने राष्टï्रीय राजमार्ग पर अतिक्रमण करके बनाई गई है ऐसा आरोप अकसर लगते रहा है। मंदिर कैम्पस में श्रद्घालु भक्तो के साथ किया जाने वाला व्यवहार भी इस मंदिर की प्रसिद्घी में कालिख पोतने का काम कर रहा है। अभी तक इस मंदिर में लाखों श्रद्घालु़ भक्त अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके है। दूर - दूर से लोग इस दक्षिण भारतीय शैली से बने मंदिर में अपनी आस्था के चलते खीचे चले आते है लेकिन यहाँ से जाने के बाद उनका अनुभव यहाँ की तस्वीर का दुसरा पहलूूू बयाँ करता है।
अमेरिका नागरिकता प्राप्त अप्रवासी भारतीय सैम वर्मा ने अपनी जननी स्वर्गीय श्रीमति रूक्मिणी देवी पति स्वर्गीय किशोरी लाल मेहतो की याद में अपनी जन्मभूमि बैतूल बाजार में जगतगुरू शंकराचार्यो द्घारा घोषित पाँचवा धाम बालाजीपुरम बनवाया था। इस धाम में भगवान रूक्मिणी बालाजी सहित हिन्दुओं के दर्जनो देवी देवीताओं के भव्य मंदिरों का निमार्ण किया गया है। अभी तक पिछले पाँच वर्षो में एक करोड़ से अधिक श्रद्घालु भक्त यहाँ पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके है। करोड़ो की लागत से बने रूक्मिणी बालाजी मंदिर में सैम वर्मा अनुराधा पौड़वाल नाईट से लेकर विश्व सुदंरी युक्ता मुखी को इस मंदिर की चार दिवारी में लाकर इन फिल्मी सितारों एवं गायको की आड़ में लोगो को मंदिर की ओर आर्कर्षित करने का प्रयास किया गया जो सफल भी हुआ। आज इस बात में कोई संदेह नहीं कि इस मंदिर में लोगो का तमाम अटकलो - चर्चाओं एवं तकलीफो के बाद भी आना जारी है। अकसर लोग जब मंदिर आये तो जाते समय भगवान की दान पेटी में कुछ दान पुण्य करके जातें है।
इधर अंकल सैम वर्मा के जन्म स्थान बैतूल बाजार नगरपंचायत के अध्यक्ष संजय कुमार वर्मा कहते है कि सैम वर्मा को विवादों में बने रहना अच्छा लगता है। कुछ वर्ष पहले अंकल सैम वर्मा ने बैतूल नगर की कोठी बाजार स्थित मसिजद में कुछ लोगो के साथ जाकर उसकी साफ सफाई करनी चाही तो मुस्लीम बिरादरी ने इस बात का जबरदस्त विरोध किया। इन लोगो का कहना था कि मस्जीद में बिना बजू किये जाना गैर इस्लामिक है । इसी तरह अंकल सैम वर्मा ने बालाजीपुरम स्थित बालाजी मंदिर में क्रिसमस को मनाया तो कुछ हिन्दु संगठनो ने जोरदार आपित्त दर्ज की । इन लोगो का कहना है कि क्या किसी गिरजाघर मे राम जन्मोत्सव मनाया गया है जो हिन्दुओं के मंदिरो में क्रिसमस मनाया जा रहा है। अंकल सैम वर्मा ने अभी कुछ साल पूर्व अपने गृहग्राम बैतूल बाजार का नाम ही परिवर्तित करना चाहा जबकि बैतूल बाजार बैतूल जिले के एतिहासिक महत्व की दृष्टिï से तथा सबसे प्राचीन कृषि प्रधान गांव रहा है। इस गांव को तीन ओर से सापना नदी ने घेर रखा है। पूर्वोमुखी सापना इस गांव में ही जिस दिशा से आती है उसी दिशा में वापस लौट जाती है। गांव का नाम या परिवर्तित करके सैम वर्मा अपना कौन सा मातृभूमि प्रेम प्रदर्शित करना चाहते समझ के बाहर की बात है? सबसे कम उम्र के बैतूल बाजार के प्रथम नागरिक का दर्जा प्राप्त नगर पंचायत अध्यक्ष संजय कुमार वर्मा कहते है कि आज सैम वर्मा की उलजूल हरकतो की वजह से ही लगभग पुरा गांव उसका विरोधी बना हुआ है। सैम वर्मा को अनेक सवालो कटघरे में खड़ा करने वाले बैतूल बाजार के वाशिंदे आज तक यह नही समझ पाये है कि अंकल सैम आखिर बालाजी मंदिर की आड में इस गांव से चाहते क्या है? अपने ही गांव के लोगो पर ऊंगलियाँ उठाने वाले सैम वर्मा के एक भाई अप्रवासी पर कुछ वर्ष पूर्व बैतूल बाजार पुलिस ने किसी महिला के साथ बलात्कार का मामला दर्ज किया था। सैम वर्मा का व्ही.आई.पी. भवन जबसे बना है तब से आज तक किसी ना किसी विवाद को हवा देता रहा है। वैसे कहा जाता है कि अंकल सैम वर्मा ने दिल्ली की तिहाड़ा जेल में भी अपने जीवन के कुछ पल बीता चुके है।
बैतूल बाजार को मंदिरो का गांव भी कहा जाता है। गांव के अनेक बुजुर्ग व्यक्ति बताते है कि गांव के अनेक मंदिरो के रख रखाव के लिए कई साल पहले से कुछ सम्पन्न जमीदारों परिवारों के द्घारा सैकड़ो एकड़ कृषि योग्य उपजाऊ भूमि जो कि नेशनल हाइवे 69 से लगी हुई है वह दान में दी गई है। उक्त कीमती जमीन को सैम वर्मा मंदिर ट्रस्ट के नाम पर हड़पना चाहते है। कभी उक्त भूमि पर दशहरा मैदान बनाने का तो कभी केन्द्रीय विद्यालय खुलवाने का शिगुफा छोड़ते रहते है। इस समय अंकल सैम वर्मा बैतूल बाजार के अनेक जीर्ण शीर्ण होते जा रहे उनके पुश्तैनी मंदिरो की ओर ध्यान ना देकर रूक्मिणी बालाजी मंदिर की ओर ज्यादा ध्यान देने में लगे है। सैम वर्मा ने इस स्थान पर चित्रकुट से लेकर कटरा की माता रानी का डुप्लीकेट मंदिर बना रखा है ताकि जो लोग जम्मू कश्मीर ना जा सके वे बैतूल बाजार में ही वैष्णव देवी के मंदिर में देवी दर्शन कर चढ़ौती कर पुण्य लाभ बटोर सके. कुछ जानकार मानते है कि जिस तरह नकली माल बेचना कानून की न$जर में अपराध है ठीक उसी तरह का अपराध अंकल सैम वर्मा भी लाखों श्रद्घालु हिन्दु तीर्थ यात्रियों के साथ कर रहे है जो कि यहाँ पर चले आते है।
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