Saturday, December 25, 2010

No Dansh Basanti



                               ''बसंती इन कुत्तो के सामने ही नाचना..........''
                          लेख :- रामकिशोर पंवार ''रोंढावाला ''
डाकु गब्बर सिंह वाली शोले फिल्म का वह डायलाग ''बसंती इन कुत्तो के सामने मत नाचना ......'' मुझे कुछ बेकुफी भरा लगता है. क्योकि आज के समय यदि गलती से भी बंसती ने कुत्तो के बजाय इंसान के सामने नाच दिया तो उसका क्या हाल होगा यह तो कोई नहीं बता सकता. कुत्तो और इंसान में अब ढेर सा फर्क दिखाई देने लगा है. आज के इंसान को सुबह एक रोटी का टुकडा नसीब नहीं होता है और कुत्ता मजे से सेंडवीज और बडा पाव को खाता है. यदि शेयी मार्केट के अनुसार कुत्ते और इंसान की मार्केट वेल्यू देखी जाये तो वह सबसे अधिक उछाल पर है. मेरा एक मित्र अकसर स्वंय के इंसान होने पर गालिया बकता रहता है. उसका कहना भी सच है कि आज के समय में कोई प्यार से दुलार करने को तैयार नहीं है चाहे वह बीबी हो या फिर कोई दिल लगी पड़ौसन ऐसे में वह कुत्ता तो सबसे ज्यादा खुश नसीब है जिसकी दिन में दस लोग दस बार पप्पी लेने को मरे जाते है. आज का इंसान कुत्ता हो गया है चाहे वह वासना को या हो या फिर दुर्र:वासना का ऐसे में वह इंसान कम जानवर ज्यादा दिखाई देने लगा है. इंसान के जानवर बनने के पीछे उनकी मानसिक कुंठा और अतृत्प यौन कुंठा कुछ हद तक जवाबदेह है. पालतु हो या गैर पालतु हिसंक - अहिंसक जानवरो के साथ रहते हुये इंसान भी  जानवर जैसी सोच रखता है चाहे वह स्वछंद सैक्स के मामले में हो या फिर खानपान के मामले में...... वह अपने ऊपर किसी भी प्रकार की बंदिश नहीं चाहता है ऐसे में उसका स्वभाव इंसान से कम जानवर से अधिक मिलने लगा है. गब्बर सिंह अब भले ही बसंती को कहे कि ''नाच बसंती नाच , पैसे दुंगा पचास .....'' अब बेडिय़ो में जकड़े धर्मेन्द्र पा जी भले ही जोर - जोर से चीखे चिल्लायें कि ''बसंती इन कुत्तो के सामने मत नाचना .......''  अब लाफटर के कार्यक्रम में यदि इस लोकेशन पर धर्मेन्द्र पा जी को पलटवार करके पूना की गंगू बाई यह कह दे कि ''तू कौन होता है मुझे रोकने वाला .....? आज के इस हसीन अवसर पर मैं भला क्यूं नहीं नाचूंगी , आज पहली बार मुझे गब्बर सिंह जैसे महान व्यक्ति के सामने अपनी प्रतिभा को प्रदर्शन करने का मौका मिला है और उसे भी भी मैं गंवा दूं ऐसा मैं होने नहीं दुंगी......'' रामगढ़ की बसंती हो या फिर अलीगढ़ की यदि उसे मौका मिलता है कि वह गब्बर भैया के बुलावे पर उनके कार्यक्रम में जिसमें सांभा जी और कालिया जी जैसी जानी मानी महान हस्ती उपस्थित हो .  ऐसे शुभ अवसर पर बसंती भलां अपने पावों को थिरकने से कैसे रोके पायेगी जब डी जे साऊण्ड पर गाना कुछ इस प्रकार बज रहा हो कि ''नाच मेरी बुलबुल की पैसा मिलेगा , कहां तुझे ऐसा मालदार मिलेगा ......'' आज की स्थिति में बंसती को तो नाचने से पहले यह सोच कर अपनी एनर्जी को बर्बाद नहीं करना चाहिये कि उसे किसके सामने नाचना है. आज का इसंन वासना का भुखा भेडिय़ा हो गया है वह किसी जवान हसीन और खुबसूरत कन्या को मल्लिका शेरवात की पोशाक में नाचता देखेगा तो उसके बदन के कपड़ो को तार - तार करके उसके नोच डालेगा और अपनी अंधी वासना का शिकार बना लेगा. आज की स्थिति में कुत्ता चाहे वह देशी हो या विदेशी वह किसी भी स्थिति में किसी की भी इज्जत का लूटेरा नहीं बना है. भले ही इज्जत के लूटेरो की तुलना समाज ने कुत्तो से कर डाली लेकिन कुत्ते ने इंसान से स्वंय को दूर रखा है. बंसती को किसी भी प्रकार के नाचने से पहले यह परख लेना जरूर चाहिये कि वह इंसान के बीच सुरक्षित है या कुत्तो के बीच क्योकि इंसान को कुत्ता बनते देर नहीं लगेगी और कुत्ते को इंसान बनने में सदिया गुजर जायेगी. मैं लेखक हूं इस नाते हर नये विषय को अपने अंदाज में पाठको के सामने लाकर अपनी उन भावनाओं को सामने लाने का प्रयास करता हूं जिसे उजागर नहीं किया जा सकता. उजागर करने और व्यक्त करने में सिर्फ इस बात का फर्क है कि भावना अभिव्यक्ति से जुड़ी होती है लेकिन जब कोई बात उजागर होती है तो निश्चीत तौर पर बवाल उठ खड़ा होता है. आज कल लोगो का इंसान से भरोसा उठता चला जा रहा है तभी तो वह विदेशी और देशी कुत्तो को पाल पोष कर अपने घर की चौकीदारी की बागडोर सौपे हुये है. मेरा एक मित्र को कुत्ते से बहुंत एलर्जी है वह अकसर मुझसे कहता रहता है कि ''मेरी किस्मत से तो अच्छी उस कुत्ते की किस्मत है जो मेरी ही बीबी की गोदी से बाहर नहीं निकलता और मुझे उसे छुना तो दूर बात तक करने का मौका तक नहीं मिलता ......'' यार मेरा है इसलिए उसकी पीड़ा को सुनना मेरा फर्ज है पर उसे यह कौन समझाये कि ''भैया यह सब कुछ कुत्ता पालने या खरीदने से पहले सोचना चाहिये था .....'' भला जो भी हो हमें किसी की दुखती नस को और जोर से नहीं दबाना चाहिये . चलते - चलते बसंत पर्व के अवसर पर मैं बस इतना जरूर कहना चाहूंगा कि ''बसंती को किसके सामने नाचना है यह उसका अपना नीजी मामला है लेकिन नाचने से पहले उसे ध्यान देना होगा कि वह खबर न बन जाये...''

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